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अंकित एक शरारती और झगड़ालू लड़का था, जिसे पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसके माता-पिता उसकी शैतानियों और झगड़ों से परेशान थे।
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अंकित के पिता के दूसरे शहर में ट्रांसफर के बाद, अंकित और भी ज्यादा लापरवाह हो गया और गलत संगत में पड़ गया।
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उसकी मां ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन अंकित पर कोई असर नहीं हुआ। उसके पिता के शहर आने पर वह सीधा बन जाता था, जिससे उन्हें उसकी हरकतों का पता नहीं चलता था।
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एक दिन, अंकित अपने दोस्तों के साथ एक पान के खोखे पर खड़ा था जहां उसने एक लड़ाई के दौरान एक लड़के को घायल कर दिया, जिससे पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
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जब उसकी मां को पता चला, तो वह पड़ोसी के साथ थाने पहुंचीं और अंकित को छुड़वाया। अंकित को पुलिस ने पीटा था, जिससे वह बेहोश हो गया था।
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अस्पताल में होश आने पर, अंकित को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने दोस्तों के चक्कर में अच्छाई-बुराई का फर्क भूलने की बात स्वीकार की।
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गुप्ता अंकल की समझाइश और मम्मी के प्यार ने अंकित को सुधरने की प्रेरणा दी। उसने महसूस किया कि सच्चे दोस्त सुख में ही साथ होते हैं, दुख में नहीं।
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कहानी यह संदेश देती है कि सही समय पर सही दिशा में सुधार किया जा सकता है,
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और परिवार का प्यार और समर्थन हमेशा महत्वपूर्ण होता है।
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