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एक बार बेगम साहिबा को चीन की महारानी से बहुमूल्य सिल्क का कपड़ा मिला, जिसे उन्होंने बीरबल से सुंदर पोशाक में बदलवाने का आग्रह किया।
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बेगम को चिंता थी कि दर्जी कपड़ा चुरा सकता है, इसलिए उन्होंने दर्जी को राजमहल में काम करने के लिए बुलाया और उस पर कड़ी नजर रखी।
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दर्जी ने दस दिनों तक राजमहल में रहकर पोशाक बनाई, लेकिन उसकी बेटी के माध्यम से कपड़े का टुकड़ा चोरी कर लिया।
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दर्जी की बेटी ने अपने पिता को घर आने के लिए मनाने की कोशिश की,
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लेकिन दर्जी ने गुस्से में जूता फेंककर उसे कपड़े का टुकड़ा भिजवा दिया।
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पोशाक तैयार होने के बाद, बेगम साहिबा ने दर्जी की पत्नी को उसी कपड़े का ब्लाउज पहने देखा और उसे राजमहल बुलाया।
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दर्जी ने बीरबल की मदद मांगी और बीरबल ने बेगम साहिबा को समझाकर दर्जी को माफ करवाया।
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दर्जी ने बताया कि उसने जूते में कपड़े का टुकड़ा छुपाकर बेटी को दे दिया था।
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अंत में, बेगम साहिबा ने बीरबल की बुद्धिमानी की सराहना की और मान लिया कि दर्जी से कपड़ा बचाना मुश्किल है।
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