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श्वेता, जो कई हफ्तों से बीमार और उदास थी, आज उसके चेहरे पर मुस्कान लौट आई थी। उसके माता-पिता भी उसे खुश देखकर बहुत प्रसन्न थे।
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श्वेता को बगीचे में एक घायल खरगोश मिला, जिसे देखकर उसका दिल दया से भर गया। उसने उसे अपने कमरे में लाकर उसकी मरहम-पट्टी की।
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श्वेता ने अपनी माँ से पूछा कि क्या पशु-पक्षियों को पालना गलत है, जिस पर माँ ने उसे बताया कि ऐसा करना अच्छा होता है।
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श्वेता ने उस खरगोश का नाम नीलू रखा और उसकी देखभाल में जुट गई। नीलू के साथ खेलना और समय बिताना श्वेता को खुशी देता था।
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एक दिन नीलू मेज से गिरकर घायल हो गया, जिससे श्वेता घबरा गई। उसने फौरन उसकी मरहम-पट्टी की लेकिन नीलू की हालत बिगड़ गई।
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नीलू की मौत से श्वेता बहुत दुखी हो गई और उसकी यादों में खोई रहने लगी, जिससे उसका स्वास्थ्य भी बिगड़ने लगा।
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श्वेता के माता-पिता उसकी हालत देखकर चिंतित हो गए और उसके पिता ने उसके जन्मदिन पर उसे एक नया खरगोश उपहार में देने का फैसला किया।
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नए खरगोश को देखकर श्वेता की खुशी लौट आई और उसने अपने पिता का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।
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उसकी मुस्कान देखकर परिवार के लोग भी खुश हो गए।
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