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मुन्ना मियां की कहानी एक मजेदार घटना पर आधारित है जो हर साल इम्तिहान के मौसम में याद आती है और हंसी का कारण बनती है।
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मुन्ना मियां एक अमीर परिवार से थे और अपने नवाबी ठाठ-बाट के कारण स्कूल में खास पहचान रखते थे। उनके पास नौकरों की फौज होती थी जो उन्हें 'प्रिंस' कहकर बुलाती थी।
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पढ़ाई में मुन्ना मियां का मन नहीं लगता था और वह क्लास में अक्सर सोते रहते थे। उनकी पढ़ाई का पूरा साल बिना कोई मेहनत के बीत गया।
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इम्तिहान के दिन मुन्ना मियां को विशेष रूप से तैयार किया गया, जैसे वह कोई बड़ा साहसिक कार्य करने जा रहे हों। उनके साथ नौकर और ढेर सारे सामान भी था।
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इम्तिहान हॉल में मुन्ना मियां को पेपर के सवाल समझ में नहीं आए और वह तनाव में आ गए। जुम्मन मियां ने उनकी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ी, लेकिन पढ़ाई की कमी ने उनका साथ नहीं दिया।
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परिणाम के दिन, मुन्ना मियां ने हर विषय में शून्य अंक प्राप्त किए। यह उनके लिए एक बड़ी निराशा का दिन था और उन्हें खुद पर गुस्सा आया।
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उनके पिता ने उन्हें शिक्षा और ज्ञान की अहमियत समझाई, जिससे मुन्ना मियां ने अगली बार मेहनत करने की कसम खाई।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि ऐशो-आराम से अधिक महत्वपूर्ण मेहनत और ज्ञान है,
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और यह कि असफलता के बाद भी व्यक्ति को सीखकर आगे बढ़ना चाहिए।
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