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मुंशी काका अपने गुस्से को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं और इससे परेशान रहते हैं। उन्हें यह आदत छोड़ने की इच्छा है लेकिन यह संभव नहीं हो पाता।
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एक दिन एक ग्राहक ने मुंशी काका को "बूढ़ा" कह दिया जिससे उनका गुस्सा भड़क गया और उन्होंने ग्राहक को कपड़ा बेचने से मना कर दिया।
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श्रीकांत मास्टर ने मुंशी काका को गुस्सा नियंत्रित करने के लिए पानी पीने और सौ तक गिनती गिनने की सलाह दी।
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एक दिन, एक साइकिल वाले लड़के के टकराने पर मुंशी काका कीचड़ में गिर गए और उन्हें चोट भी लगी। गुस्से में उन्होंने श्रीकांत मास्टर की सलाह याद की।
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मुंशी काका ने पानी पिया और गिनती शुरू की लेकिन लोग उनके इस व्यवहार को देखकर हैरान हो गए और उन्हें 'बुढ़ऊ' कहने लगे।
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मुंशी काका का गुस्सा और बढ़ गया और उन्होंने गिनती पूरी करने के बाद लोगों को मारने के लिए छतरी उठा ली।
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श्रीकांत मास्टर को जब इस घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने डर के मारे अपने घर के दरवाजे पर ताला लगवा दिया।
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कहानी यह सिखाती है कि गुस्से को सही तरीके से प्रबंधित करना जरूरी है,
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अन्यथा इसके हास्यपद परिणाम हो सकते हैं।
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