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बादशाह शाहजहां के चार बेटे थे - दारा, शुजा, मुराद और औरंगजेब, जिनमें से किसी एक को राज्य का उत्तराधिकारी बनाना था। यह एक गंभीर प्रश्न था जिसे शाहजहां ने कई दिनों तक विचार किया।
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इस प्रश्न का समाधान खोजने के लिए बादशाह ने अपने प्रधानमंत्री से सलाह मांगी। प्रधानमंत्री ने चारों राजकुमारों की योग्यता की परीक्षा लेने का निर्णय लिया।
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प्रधानमंत्री ने दारा से तीन प्रश्न पूछे, जिनका उत्तर देने में दारा ने रुचि नहीं दिखाई और इसे मामूली बातें बताया। उसने धर्मशास्त्र और युद्धविद्या की बातों में अपनी योग्यता जताई।
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शुजा ने भी इन प्रश्नों को तुच्छ समझा और कहा कि वह शासन-प्रबंध की बातें जानता है। उसने बाजार से जानकारी मंगवाने की पेशकश की।
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मुराद ने भी इन प्रश्नों को महत्वहीन बताया और कहा कि वह ताज पर ध्यान देता है, न कि ऐसी छोटी बातों पर।
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अंत में, औरंगजेब ने प्रधानमंत्री के सभी प्रश्नों का सही और सटीक उत्तर दिया, जिससे प्रधानमंत्री उसकी योग्यता से प्रभावित हुआ।
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प्रधानमंत्री ने बाद में शाहजहां को बताया कि औरंगजेब ही गद्दी के लिए सबसे योग्य है
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क्योंकि वह छोटी से छोटी बात पर ध्यान देता है।
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औरंगजेब की दूरदर्शिता और सूझबूझ के कारण प्रधानमंत्री की बात सही साबित हुई और वही राज्य का उत्तराधिकारी बना।
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