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रहमत एक छोटा व्यापारी था जो राजस्थान के एक गांव में रहता था और उसकी ऊंटनी को वह मरूस्थल का जहाज मानता था।
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एक दिन एक कार बेचने वाला व्यापारी रहमत के पास आया और उसे एक पुरानी कार खरीदने के लिए प्रेरित करने लगा, यह कहते हुए कि कार का सफर आरामदायक होगा।
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रहमत ने मुफ्त में कार की सैर करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया
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और कार में घूमने निकल पड़ा, जिससे उसकी ऊंटनी निराश हो गई।
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कार की सवारी के दौरान, रहमत ने सोचा कि उसे अपनी यात्रा का साधन बदल लेना चाहिए और कार खरीदने का विचार किया।
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यात्रा के दौरान कार रेत में फंस गई और व्यापारी ने सुझाव दिया कि शहर से क्रेन लाना पड़ेगा।
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रहमत ने अपनी ऊंटनी को लाने का फैसला किया और ऊंटनी ने कार को रेत से बाहर खींच लिया।
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इस घटना के बाद, रहमत ने फैसला किया कि वह अपनी ऊंटनी पर ही सवारी करना पसंद करेगा और कार व्यापारी को मना कर दिया।
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ऊंटनी इस निर्णय से सबसे ज्यादा खुश हुई, क्योंकि अब उसे कार के रूप में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी।
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