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बीरनचक राज्य में लगातार पांच दिनों तक भारी बारिश हुई, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। गांव और खेत पानी में डूब गए और चारों ओर हाहाकार मच गया।
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राजा वशिष्ठ सिंह इस समस्या से चिंतित थे और उन्होंने घोषणा की कि बाढ़ का पानी निकालने वाले को इनाम दिया जाएगा, लेकिन उन्हें कोई उपाय नजर नहीं आ रहा था।
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प्रकाश नामक व्यक्ति ने राजा के पास जाकर कहा कि वह बाढ़ का पानी निकाल सकता है, लेकिन इसके लिए उसे कुछ स्वर्ण मुद्राएं चाहिए।
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राजा ने प्रकाश को स्वर्ण मुद्राएं दिलवा दीं। प्रकाश ने उन मुद्राओं को पानी में फेंक दिया, जिससे गांव वाले उन्हें खोजने के लिए प्रेरित हुए।
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गांव वालों ने मिलकर उन चट्टानों को हटाना शुरू किया, जो पानी के बहाव को अवरुद्ध कर रही थीं। उनकी मेहनत से चट्टानें हट गईं और बाढ़ का पानी बह निकला।
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गांव वालों को मुद्राएं भी मिल गईं और उनकी समस्याएं हल हो गईं। यह सब हुआ प्रकाश की चतुराई से।
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राजा वशिष्ठ सिंह प्रकाश की इस समझदारी और समाधान से बहुत प्रसन्न हुए और उसे ढेर सारा इनाम दिया।
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यह कहानी प्रकाश की समझदारी और गांव वालों की एकजुटता का उदाहरण प्रस्तुत करती है,
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जिससे एक बड़ी समस्या का समाधान निकाला गया।
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