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कहानी में राजा सोलोमन अपने बगीचे में आराम कर रहे थे जब एक मधुमक्खी ने उनकी नाक पर डंक मार दिया, जिससे उनकी नींद में खलल पड़ा और वे बहुत क्रोधित हो गए।
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राजा ने आदेश दिया कि राज्य की सभी मधुमक्खियों को उसके सामने हाजिर किया जाए। जब मधुमक्खियाँ आईं, एक छोटी मधुमक्खी ने अपराध स्वीकार कर लिया और माफी मांगी।
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मधुमक्खी ने कहा कि उसने गलती से राजा की नाक को गुलाब समझ लिया था और उसे काट लिया। उसने राजा से दया की गुहार लगाई, यह कहते हुए कि एक दिन वह उसकी मदद कर सकती है।
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राजा को मधुमक्खी की बात पर हंसी आई और उसने उसे जाने दिया, भूलकर कि मधुमक्खी ने उसका चेहरा बदसूरत बना दिया था।
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कुछ समय बाद, रानी शीबा ने राजा सोलोमन को एक पहेली दी जिसमें उसे असली और नकली गुलाब के फूलों में फर्क करना था।
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राजा इस पहेली को हल करने में असमर्थ था, लेकिन तभी वही मधुमक्खी आई और असली गुलाब पर बैठ गई, जिससे राजा को सही उत्तर पता चल गया।
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मधुमक्खी ने राजा की मदद करके अपने पहले के गलती की भरपाई की, दिखाते हुए कि कभी-कभी छोटी सी सहायता भी महत्वपूर्ण हो सकती है।
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इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि छोटी गलतियाँ भी बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं,
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और हमें हर किसी की सहायता और दया के लिए आभारी रहना चाहिए।
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