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चीकू बंदर एक शरारती बंदर था, जो सुंदर वन में अपने माता-पिता के साथ रहता था और अक्सर दूसरों को परेशान करता था।
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उसकी शरारतों से तंग आकर, उसके माता-पिता और अन्य जानवर उसे समझाने की कोशिश करते, लेकिन उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था।
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भोलू भालू का बगीचा सुंदर फूलों और पौधों से भरा था, जहां चीकू अक्सर फूलों को नुकसान पहुंचाता था और भोलू के आते ही छिप जाता था।
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एक दिन चीकू ने गुलाब का फूल तोड़कर अपनी जेब में डाल लिया, लेकिन उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी, जो उसे परेशान करने लगी।
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चीकू ने महसूस किया कि रोने की आवाज गुलाब के फूल की थी, जो अपनी मां से अलग होने के कारण दुखी था।
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गुलाब के फूल ने चीकू को यह समझाया कि फूलों को भी अपने माता-पिता की ममता की आवश्यकता होती है, जैसे बच्चों को होती है।
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चीकू को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने वादा किया कि वह भविष्य में फूलों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी भी जीव को नुकसान पहुंचाना गलत है
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और हमें अपने कार्यों से दूसरों को सुख पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए।
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