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चिंटू नाम का एक शरारती बंदर था जो अपनी चालाकियों से जंगल के अन्य जानवरों को परेशान करता था।
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सर्दियों के दिनों में, उसने एक नई शरारत के तहत तालाब के पास पत्थर पर गोंद लगाकर बत्तखों को चिपकाने की योजना बनाई।
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जब बत्तखें पत्थर पर बैठकर सुस्ताने लगीं, तो गोंद के कारण वे पत्थर से चिपक गईं और चिंटू बंदर उन्हें देखकर खुश हुआ।
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बत्तखें चिंटू की इस शरारत से नाराज होकर उसे सबक सिखाने का विचार करने लगीं।
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मुर्गों के एक झुंड ने बत्तखों की मदद की और पत्थरों पर पानी डालकर उन्हें गोंद से मुक्त किया।
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एक बत्तख, जिसका नाम मोनी था, ने चिंटू को सबक सिखाने की योजना बनाई।
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अगले दिन, जब चिंटू बंदर तालाब पर नहाने गया, तो वह एक जाल में फंस गया, जिसे मोनी और एक बहेलिए ने मिलकर तैयार किया था।
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बहेलिए ने चिंटू को पकड़ लिया और उसे शहर में मदारी के पास बेच दिया, जहां उसे नाचना सीखाया गया।
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इस घटना से चिंटू को समझ में आया कि उसकी शरारतों की वजह से उसे गुलामी के दिन देखने पड़े।
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