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नंदन वन में चम्पा नाम की चुहिया अपने नटखट बेटे गोलू के साथ रहती थी, जो बहुत शरारती और बुद्धिमान था।
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चम्पा ने गोलू को घर पर रहने की हिदायत दी थी, लेकिन वह खेलते-खेलते पहाड़ी पर पहुँच गया और वहां उसकी मुलाकात भूरी बिल्ली मौसी से हो गई।
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गोलू ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए बिल्ली मौसी को गाना गाने के लिए प्रेरित किया, ताकि वह उसकी नजरों से बच सके।
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बिल्ली मौसी ने गोलू की तारीफों में आकर गाना गाना शुरू किया, जिससे गोलू ने मौके का फायदा उठाकर वहां से निकलने की योजना बनाई।
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गोलू ने बिल्ली को भजन गाने के लिए भी प्रेरित किया और अपनी आंखें बंद कर लीं, जिससे बिल्ली ने भी आंखें बंद कर लीं।
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इस मौके का फायदा उठाते हुए गोलू वहां से चुपचाप खिसक गया और अपनी जान बचाई।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि बुद्धिमत्ता और साहस से बड़ी से बड़ी समस्याओं को हल किया जा सकता है।
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गोलू की चतुराई ने उसे संकट से बचाया,
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जिससे यह स्पष्ट होता है कि सही समय पर सही निर्णय लेना कितना महत्वपूर्ण होता है।
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