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कालू भालू एक साधारण भालू था, जो अपने पिता मालू भालू के बीमार होने पर जंगल में व्यापार संभालने जाता है।
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मालू ने कालू को तीन महत्वपूर्ण सलाह दी: लाभ का मोल समझना, समझदार की सलाह सुनना लेकिन खुद की समझ से काम करना, और सूर्य डूबने से पहले घर लौट आना।
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कालू ने बाजार में मीठे बेर खरीदे और गधे की पीठ पर लादकर घर लौटने लगा।
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रास्ते में एक लोमड़ी ने सुझाव दिया कि कालू पत्थरों का दूसरा बोरा बनाकर गधे की पीठ पर लाद ले और खुद भी बैठ जाए।
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कालू ने लोमड़ी की बात मान ली लेकिन फिर एक भेड़िये ने उसे गधे पर दया करने की सलाह दी।
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कालू ने भेड़िये की बात पर विचार किया और पत्थरों को फेंककर बेरों को दो हिस्सों में बांट दिया, जिससे गधा आराम से चल सका।
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कालू ने सीखा कि सभी की सुनो, लेकिन अपने मन की करो, और इस सिद्धांत पर अमल करने लगा।
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कहानी बच्चों को सिखाती है कि सलाह सुनना महत्वपूर्ण है,
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लेकिन निर्णय खुद की समझ से लेना चाहिए।
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