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रूमा गिलहरी जंगल में पिकनिक के लिए अमरूद इकट्ठा कर रही थी, और उसकी दोस्त मंजरी मैना ने उसकी मदद की।
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रूमा और मंजरी ने नदी किनारे पिकनिक की योजना बनाई थी, जहां झूले और नर्म घास का बिछावन था।
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जब वे फल इकट्ठा कर आगे बढ़ीं, तो मोटू बंदर ने उनका रास्ता रोक लिया और उनसे "टैक्स" की मांग की।
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मंजरी ने मोटू बंदर को समझाने की कोशिश की कि यह इलाका महाराज शेर सिंह का है, लेकिन मोटू बंदर नहीं माना।
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मंजरी ने मोटू को सबक सिखाने के लिए रानी मधुमक्खी की मदद ली, जो अमरूद के फूलों पर पराग लेने आई थी।
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मोटू बंदर ने मधुमक्खी से भी टैक्स की मांग की, जिससे मधुमक्खी की फौज ने उस पर हमला कर दिया।
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मधुमक्खियों के हमले से डरकर मोटू बंदर भाग खड़ा हुआ।
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मंजरी और रूमा ने मधुमक्खी का धन्यवाद किया और उसे पिकनिक में शामिल होने का निमंत्रण दिया।
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रानी मधुमक्खी ने पिकनिक में आने से मना कर दिया, क्योंकि उसकी पूरी फौज भी साथ आ जाती, जिससे पिकनिक का मजा खराब हो सकता था।
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कहानी बच्चों के लिए मनोरंजक और शिक्षाप्रद है, जो उन्हें साहस और चतुराई से समस्याओं का समाधान करने की प्रेरणा देती है।
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