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कालू नाम का एक भालू गाँव के बाहर के जंगल में रहता था। वह अपने मीठे शब्दों से छोटे जानवरों को फंसाकर खा जाता था।
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मोटू और छोटू नाम के दो बुद्धिमान खरगोश भी उसी जंगल में रहते थे और वे कालू भालू की चालाकियों से परेशान थे।
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छोटू और मोटू ने मिलकर कालू को सबक सिखाने की योजना बनाई और उसे एक गुफा में विचित्र जानवर देखने के लिए प्रेरित किया।
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कालू भालू उनकी बातों में आ गया और गुफा की ओर चल पड़ा, जहां उसे एक शेर मिला।
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गुफा में घुसते ही कालू भालू को शेर ने हमला कर दिया, जिससे वह घायल होकर भागा।
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मोटू और छोटू ने कालू को उसके खुद के जाल में फंसाकर उसे सबक सिखाया।
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कालू भालू की टाँगे इतनी बुरी तरह घायल हो गईं कि अब वह ठीक से चल भी नहीं सकता था।
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इस कहानी से पता चलता है कि चालाकी से दूसरों को नुकसान पहुँचाने
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वाले व्यक्ति को भी कभी न कभी अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है।
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