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एक साधु रोज घाट के किनारे बैठकर चिल्लाते थे, “जो चाहोगे सो पाओगे”, लेकिन लोग उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते थे और उन्हें पागल समझते थे।
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एक दिन, एक युवक ने साधु की आवाज सुनी और उनके पास जाकर पूछा कि क्या वह उसे वह दे सकते हैं जो वह चाहता है।
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युवक ने साधु से कहा कि वह हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनना चाहता है।
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साधु ने युवक को 'समय' और 'धैर्य' के रूप में दो अनमोल उपहार दिए, जिन्हें उन्होंने दुनिया का सबसे अनमोल हीरा और मोती बताया।
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साधु ने युवक को सिखाया कि समय का सही उपयोग और धैर्य से काम लेना जीवन में सफलता की कुंजी है।
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युवक ने साधु की सलाह मानी, समय का सदुपयोग किया और धैर्य के साथ काम करते हुए
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एक हीरों के व्यापारी के यहाँ काम शुरू किया।
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अपनी मेहनत और ईमानदारी से युवक ने खुद को एक बड़े हीरों के व्यापारी के रूप में स्थापित कर लिया।
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कहानी का मुख्य संदेश है कि समय और धैर्य के माध्यम से कोई भी बड़ा लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
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