हिंदी नैतिक कहानी: मेहनत की कमाई में ही सुख है

Jun 23, 2025, 12:15 PM

मेहनत की कमाई में ही सुख है

सुन्दरनगर नामक गांव में अधिकतर लोग खेती-बाड़ी करते थे और स्नेहपूर्वक रहते थे। एक दिन लक्ष्मी देवी वहां आईं और वासियों को वरदान देने की बात कही।

मेहनत की कमाई में ही सुख है

लक्ष्मी देवी के वचन सुनकर किसान पुत्र मुफ्त में धन प्राप्त करने के लिए उत्साहित हो गए, लेकिन धरती मां ने उन्हें परिश्रम का महत्व समझाने की कोशिश की।

मेहनत की कमाई में ही सुख है

वरदान के दिन, लोग लक्ष्मी मंदिर में जमा हुए और उन्होंने धन की मांग की, जिससे उनके घरों में सोने-चांदी का ढेर लग गया।

मेहनत की कमाई में ही सुख है

बिना परिश्रम के धन ने लोगों को आलसी बना दिया और वे बुरे कामों में लिप्त हो गए। उन्होंने खेती-बाड़ी छोड़ दी और विलासी जीवन जीने लगे।

मेहनत की कमाई में ही सुख है

धीरे-धीरे, धन का भंडार समाप्त हो गया और अनाज की कमी के कारण महंगाई बढ़ गई, जिससे गांव में भुखमरी फैल गई।

मेहनत की कमाई में ही सुख है

धरती मां ने गांव की दुर्दशा देखकर लोगों को फिर से परिश्रम करने की प्रेरणा दी और कहा कि मेहनत की कमाई में ही सच्चा सुख है।

मेहनत की कमाई में ही सुख है

किसानों की आंखें खुल गईं और उन्होंने फिर से खेती करने का निर्णय लिया, जिससे गांव में धीरे-धीरे खुशहाली लौट आई।

मेहनत की कमाई में ही सुख है

कहानी का संदेश है कि मेहनत से कमाया हुआ धन ही स्थायी सुख और शांति देता है

मेहनत की कमाई में ही सुख है

जबकि मुफ्त का धन जीवन को बर्बाद कर सकता है।