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राजा मान सिंह ने राज्य के सभी अंधे लोगों को भीख देने का निर्णय लिया और इसके लिए एक सूची तैयार करने को कहा।
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मंत्री ने राज्य के अंधे लोगों की एक सूची तैयार की, लेकिन चतुर सिंह ने इसे अधूरी बताया और इसे पूरा करने के लिए समय मांगा।
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चतुर सिंह ने बाजार में खाट बुनना शुरू किया और जब लोग उनसे पूछते कि वह क्या कर रहे हैं, तो वह कोई जवाब नहीं देते थे।
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राजा मान सिंह ने भी चतुर सिंह से वही सवाल पूछा, लेकिन चतुर सिंह ने कोई उत्तर नहीं दिया।
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अगले दिन, चतुर सिंह ने राजा को अंधे लोगों की एक विस्तृत सूची सौंपी, जिसमें राजा का नाम भी शामिल था।
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जब राजा ने पूछा कि उनका नाम क्यों है, तो चतुर सिंह ने कहा
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कि जो लोग खाट बुनते देख नहीं पाए, वे भी अंधे हैं।
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राजा ने चतुर सिंह की बात से समझा कि दृष्टिहीन लोगों की तुलना में राज्य में अधिक लोग अंधे हैं।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि दृष्टि वाले लोग भी अपने आसपास की घटनाओं के प्रति अंधे हो सकते हैं।
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