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प्राचीन काल में सीतारामपुर नामक एक गांव था, जहां एक वृद्ध दम्पति लकड़ियाँ काटकर अपना जीवन यापन करते थे। वे गरीब थे, लेकिन ईमानदार थे।
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उनके पड़ोस में एक दुष्ट और कंजूस सेठ रहता था, जो हमेशा लोगों को ठगने की योजना बनाता रहता था।
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एक रात भगवान विष्णु ने वृद्ध दम्पति को दर्शन दिए और उनकी शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए एक विशेष बगीचे के बारे में जानकारी दी।
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भगवान ने बताया कि उस बगीचे में एक ताल है जिसमें स्नान करने से उम्र घटती है, लेकिन तीन डुबकी लगाकर तुरंत लौटना होगा।
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वृद्ध दम्पति ने भगवान की सलाह मानी और ताल में डुबकी लगाकर युवा हो गए, जिसे देखकर सेठ को जलन हुई।
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सेठ ने भी युवा होने की चाहत में ताल में कई डुबकी लगाई, जिससे उसकी उम्र घटकर दस वर्ष हो गई।
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ताल से निकलकर भागते समय सेठ की उम्र बगीचे में देर तक रहने के कारण तेजी से बढ़ने लगी और वह सत्तर से नब्बे वर्ष का हो गया।
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अंततः उसकी लालच और मूर्खता के कारण सेठ की मृत्यु हो गई,
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जो नैतिक कहानी में लालच के बुरे परिणाम को दर्शाता है।
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