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यह कहानी एक कौवे की है जो रोज नर्सरी स्कूल जाया करता था, जहां उसे बच्चों द्वारा इंटरवल में गिराए गए भोजन के टुकड़े खाने को मिलते थे।
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कौवा नर्सरी स्कूल में मैडम द्वारा सुनाई गई कहानियां भी सुनता था, जिससे वह होशियार बन गया।
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एक दिन कौवे को रोटी का टुकड़ा मिला जिसे बचाने के लिए उसने बिल्ली के झांसे में न आकर गाना गाने का नाटक किया।
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कौवा समझदार था क्योंकि उसने उस कहानी को सुन रखा था
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जिसमें एक कौवा अपने गाने से रोटी खो बैठता है।
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एक गर्मी की दोपहर कौवे को प्यास लगी और उसने पानी की तलाश की।
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कौवे ने एक घर के दरवाजे पर जाकर अपनी चोंच से दरवाजा खटखटाया, जिससे एक बच्चा हैरान रह गया।
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बच्चे ने नर्सरी स्कूल में सुनी प्यासे कौवे की कहानी याद कर कौवे के लिए पानी लाकर उसे पिलाया।
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कहानी का संदेश है कि स्कूल जाना महत्वपूर्ण है क्योंकि वहां से सीखी गई बातें हमें जीवन में समझदार बनाती हैं।
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