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आभानगरी के विशाल जंगल में शिकारियों के आगमन से पक्षियों की संख्या घटने लगी, जिससे पूरे राज्य में अकाल और संकट छा गया।
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शिकारियों के कारण पक्षियों का भयभीत होकर जंगल छोड़ना और प्राकृतिक असंतुलन के चलते राज्य में हाहाकार मच गया, जिससे खेती और काम-धंधे भी चौपट हो गए।
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राजा ने संकट से निकलने का उपाय खोजने वाले को महामंत्री बनाने की घोषणा की।
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गांव का गड़रिया भीमसेन, जो पक्षियों की भाषा समझता था, ने शिकारियों की वजह से संकट का कारण राजा को बताया।
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राजा ने भीमसेन की सलाह पर शिकारियों को गिरफ्तार कर मृत्युदंड दिया और कैद पक्षियों को मुक्त करने की योजना बनाई।
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भीमसेन ने पक्षियों को उनकी भाषा में समझाकर आजाद किया, जिससे पक्षी खुशी से उड़ने लगे और पर्यावरण में संतुलन लौटा।
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पक्षियों की चहचहाहट से सूरज उग आया, बादल घिर आए और बारिश होने लगी, जिससे राज्य में खुशहाली लौट आई।
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राजा ने भीमसेन को महामंत्री नियुक्त किया और भीमसेन की बुद्धिमत्ता और समझदारी को सभी ने सराहा।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि सच्ची समझदारी और साहस से कठिन समस्याओं का समाधान संभव है, और छोटे लोग भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।
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