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एक पहाड़ी पर एक पौधा उगता है, जो पहले चिड़िया चुन्नी की कोशिशों और प्राकृतिक बाधाओं के चलते छोटा रह गया था, लेकिन समय के साथ वह बड़ा पेड़ बन जाता है।
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चिड़िया चुन्नी अपने बच्चों के लिए दाना ले आती है, जो असल में एक पेड़ का बीज होता है। बीज पत्थरों के दरार में गिर जाता है और समय के साथ अंकुरित होकर पौधा बन जाता है।
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एक लकड़हारा पौधे को काटने की कोशिश करता है, लेकिन पौधा ईश्वर से प्रार्थना करता है, और लकड़हारा इस घटना से इतना डर जाता है कि उसे जादू का पौधा समझकर भाग जाता है।
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पौधा बड़ा होकर पेड़ बन जाता है और सभी प्राणियों के लिए फायदेमंद होता है। चिड़िया, गिलहरी, मोर, हाथी आदि उसकी छांव और फलों का आनंद लेते हैं।
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पेड़ अपने बचपन की घटनाओं को याद करता है जब वह एक छोटा पौधा था और कई बार खतरे में पड़ा था, लेकिन हमेशा बच गया।
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वही लकड़हारा, जो पहले पेड़ को काटने आया था, अब उसकी छांव में आराम करता है और पेड़ से माफी मांगता है, महसूस करता है कि पेड़ उसके लिए कितना महत्वपूर्ण है।
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लकड़हारा पेड़ से कहता है कि उसने पेड़ को काटने की मूर्खता नहीं दोहराई और समझ गया कि पेड़ का अस्तित्व इंसानों के लिए कितना जरूरी है।
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पेड़ लकड़हारे की समझदारी से खुश होकर उसे पके हुए फल देता है, जिससे लकड़हारा अपना पेट भर सके।
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कहानी यह सिखाती है कि प्रकृति के साथ समझदारी और सम्मानपूर्ण संबंध रखना सभी के लिए लाभकारी होता है और यही प्राकृतिक संतुलन की कुंजी है।
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