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इस कहानी में बाप-बेटे की जोड़ी का उल्लेख है, जो धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं और भजन-कीर्तन में नियमित रूप से भाग लेते हैं।
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एक दिन भजन-कीर्तन से लौटते समय, उन्हें घने जंगल से गुजरना पड़ता है, और रात हो जाती है। वे जंगल में ही रुकने का निर्णय लेते हैं और एक पेड़ पर चढ़ जाते हैं।
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बेटा सिंह की दहाड़ सुनकर डर जाता है और अपने पिता को जगाता है। पिता उसे सिखाते हैं कि डर पर कैसे काबू पाया जाए।
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पिता बेटे से पूछते हैं कि क्या उसे चाकू से डर लगता है। बेटा कहता है कि उसे अपने पिता के प्रेम पर पूरा भरोसा है, इसलिए वह डरता नहीं है।
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पिता इस उदाहरण के जरिए बताते हैं कि जैसे बेटे को अपने पिता पर विश्वास है, वैसे ही हमें ईश्वर के प्रेम पर विश्वास रखना चाहिए।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि ईश्वर के प्रेम और संरक्षण पर विश्वास रखने से जीवन की कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है।
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सिंह की दहाड़ को जीवन की मुसीबतों के रूप में देखा गया है, जो सिर्फ डराने की कोशिश करती हैं।
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विश्वास और आत्म-निर्भरता से किसी भी डर पर विजय पाई जा सकती है,
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यह कहानी हमें यही सीख देती है।
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