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होली की कहानी में अमु नाम का बच्चा अपनी माँ का पल्लू पकड़कर अपने भाई के आने का इंतजार करता है, जो छात्रावास से आ रहा है।
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माँ ने अमु को इस बार भाई के साथ होली खेलने की अनुमति दी है, जिससे वह बहुत उत्साहित है।
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भाई के आने पर अमु खुशी से उछल पड़ता है और दोनों मिलकर होली खेलने की योजना बनाते हैं।
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भाई को वाद-विवाद प्रतियोगिता में पाँच सौ रुपये का पुरस्कार मिला है, जिससे वे पिचकारी और रंग खरीदने की सोचते हैं।
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अचानक भाई का बटुआ गुम हो जाता है, जिससे वह उदास हो जाता है। माँ मदद की पेशकश करती है, लेकिन भाई मना कर देता है।
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अमु अपनी गुल्लक से पैसे देने की पेशकश करता है, जिसे वह स्वीमिंग पूल की फीस के लिए बचा रहा था।
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तभी कबाड़ी वाले भैया बटुआ वापस लाते हैं, जो रेलवे स्टेशन पर गिर गया था। वे बटुए में तस्वीर देखकर पहचान लेते हैं।
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माँ ने कबाड़ी वाले भैया की बेटी को खाना बनाना सिखाया था, जिससे वे आभारी थे।
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अंत में, सब खुश हो जाते हैं क्योंकि बटुआ और पाँच सौ का नोट वापस मिल जाता है, और अमु और भाई होली खेलने के लिए तैयार हो जाते हैं।
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