Akbar Birbal Story - कैसे चतुर बीरबल ने अकबर से पुरस्कार लिया

Jun 18, 2025, 11:42 AM

चतुर बीरबल

महाराजा अकबर एक दिन यमुना नदी के किनारे सैर कर रहे थे और उनके साथ उनके दरबार के चतुर मंत्री बीरबल भी थे।

चतुर बीरबल

सैर के दौरान, अकबर ने एक ऊंट को देखा और बीरबल से पूछा कि ऊंट की गर्दन क्यों मुड़ी होती है।

चतुर बीरबल

बीरबल ने चतुराई से जवाब दिया कि ऊंट की गर्दन इसलिए मुड़ी होती है क्योंकि उसने किसी से वादा करके उसे भुला दिया है।

चतुर बीरबल

अकबर ने बीरबल के उत्तर से अपने एक पुराने वादे को याद किया जो उन्होंने बीरबल से किया था पर पूरा नहीं किया था।

चतुर बीरबल

अपनी गलती का एहसास होते ही, अकबर ने महल लौटकर बीरबल को बुलाया और उन्हें वादा किया हुआ पुरस्कार सौंपा।

चतुर बीरबल

अकबर ने बीरबल से कहा कि अब उनकी गर्दन ऊंट की तरह नहीं मुड़ेगी, जिस पर बीरबल ने उनके न्यायप्रिय होने की प्रशंसा की।

चतुर बीरबल

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि वादे को समय पर पूरा करना चाहिए वरना यह दूसरों के विश्वास को ठेस पहुंचा सकता है।

चतुर बीरबल

बीरबल की चतुराई और धैर्य ने दिखाया कि कैसे बिना टकराव के अपना अधिकार प्राप्त किया जा सकता है।

चतुर बीरबल

अकबर ने यह सिखाया कि एक सच्चे नेता को अपनी गलतियों को स्वीकार कर उन्हें सुधारने में झिझक नहीं करनी चाहिए।

चतुर बीरबल

यह कहानी अकबर और बीरबल की जोड़ी की महानता को दर्शाती है, जिससे भारतीय इतिहास में उनकी अमरता सिद्ध होती है।