भारतीय कांटेदार पूंछ वाली छिपकली (Saara hardwickii): पूरी जानकारी

Nov 18, 2025, 01:12 PM

Saara Hardwickii

भारतीय कांटेदार पूंछ वाली छिपकली, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Saara hardwickii कहा जाता है, भारत की एकमात्र शाकाहारी छिपकली प्रजाति है।

Saara Hardwickii

यह छिपकली मुख्य रूप से भारत के रेगिस्तानी क्षेत्रों जैसे थार रेगिस्तान और कच्छ के रण में पाई जाती है और इसका रंग इसे अपने परिवेश में छुपने में मदद करता है।

Saara Hardwickii

इसकी पहचान इसकी कांटेदार पूंछ से होती है, जो शिकारियों से बचाव में मददगार होती है, और इसका शरीर मजबूत और चपटा होता है जो रेगिस्तान में चलने में सहायक होता है।

Saara Hardwickii

यह छिपकली पौधे, पत्तियाँ, फूल और फल खाती है और अपने आहार से ही नमी प्राप्त करती है, जिससे यह पारिस्थितिकी तंत्र में बीजों के प्रसार में योगदान देती है।

Saara Hardwickii

यह प्रजाति सुबह और शाम को सक्रिय रहती है और दिन की गर्मी से बचने के लिए अपने बिल में छुपकर रहती है, जिसे यह अपने मजबूत पैरों से खोदती है।

Saara Hardwickii

प्रजनन के दौरान, मादा छिपकली रेत में गड्ढा खोदकर 10 से 20 अंडे देती है, जो 60 से 70 दिनों में फूटते हैं।

Saara Hardwickii

यह छिपकली पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जैसे बीजों का फैलाव, खाद्य श्रृंखला में योगदान, और मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि।

Saara Hardwickii

वर्तमान में, यह IUCN रेड लिस्ट में "कम चिंता" की श्रेणी में है, लेकिन इसके आवास के नुकसान, शिकार और जलवायु परिवर्तन के कारण संरक्षण की आवश्यकता है।

Saara Hardwickii

इसके सामाजिक व्यवहार के कारण यह समूहों में रहती है और इसकी कांटेदार पूंछ और रंग इसे शिकारियों से बचाते हैं।

Saara Hardwickii

भारतीय कांटेदार पूंछ वाली छिपकली की विशेषताएं इसे भारत के रेगिस्तानी इलाकों की जैव विविधता का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती हैं।