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एक अमीर सेठ, जिसकी दौलत असीम थी, लेकिन वह मानसिक शांति से वंचित था और हमेशा चिंतित और असंतुष्ट रहता था।
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किसी ने उसे बताया कि पास के जंगल में एक प्रसिद्ध साधु रहते हैं, जो मन की शांति का उपाय जानते हैं।
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सेठ साधु के पास गया और अपनी समस्या बताई, जिसके बाद साधु ने उसे कुछ कठिनाईयों का सामना करने के लिए कहा।
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साधु ने सेठ को कड़ी धूप में बिठाया और खुद कुटिया में चले गए, दूसरे दिन उसे बिना भोजन के रखा, जिससे सेठ को धैर्य की परीक्षा देनी पड़ी।
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जब सेठ का धैर्य टूट गया, तो साधु ने समझाया कि दूसरों पर निर्भर रहकर शांति नहीं मिलती, बल्कि यह हमारे भीतर से ही आती है।
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साधु ने बताया कि जब तक हम अपनी समस्याओं का समाधान बाहर ढूंढते रहेंगे, तब तक बेचैन रहेंगे और शांति भीतर से ही प्राप्त होगी।
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सेठ ने साधु की बातों को समझकर अपनी आँखें खोल लीं
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और यह महसूस किया कि सच्ची शांति आत्मनिरीक्षण और सही कर्मों में निहित होती है।
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अंततः, सेठ ने साधु का आशीर्वाद लेकर अपने घर लौटने का निर्णय लिया और आत्मनिरीक्षण की महत्ता को स्वीकार किया।
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