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यह कहानी एक गाँव के दो दोस्तों की है, जिसमें एक सब्जी बेचता है और दूसरा मिट्टी के बर्तन बनाता है। सब्जी वाला नेकदिल है जबकि कुम्हार के मन में जलन है।
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दोनों दोस्तों ने एक ऊँट खरीदा ताकि वे शहर में अपने-अपने सामान बेच सकें। सब्जी वाला आगे बैठा और कुम्हार ने बर्तन ऊँट के एक तरफ लटका दिए।
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रास्ते में ऊँट को भूख लगी और उसने सब्जी की टोकरी से सब्जियाँ खानी शुरू कर दीं। सब्जी वाले ने इसे नजरअंदाज कर दिया, लेकिन कुम्हार मन ही मन खुश था क्योंकि उसे लगा कि सब्जी वाले का नुकसान हो रहा है।
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शहर पहुँचने पर, ऊँट ने एक करवट ली जिससे कुम्हार के सारे बर्तन टूट गए। कुम्हार की सारी उम्मीदें टूट गईं जबकि सब्जी वाले की टोकरी में सब्जियाँ बची रहीं।
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सब्जी वाले ने अपनी सब्जियाँ अच्छे दामों पर बेच दीं और वापस लौटते समय अपनी कमाई का आधा हिस्सा कुम्हार को दे दिया।
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सब्जी वाले की नेकदिली से कुम्हार को अपनी सोच पर पछतावा हुआ और उसने महसूस किया कि दूसरों के लिए बुरा सोचने से खुद का ही नुकसान होता है।
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कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी किसी के लिए बुरा नहीं सोचना चाहिए,
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क्योंकि इसका परिणाम अंततः हमारे लिए ही बुरा होता है।
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यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि अच्छे विचार और नेकदिली से ही सच्चा सुख प्राप्त होता है।
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