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एक गुरु अपने शिष्यों के साथ नदी के किनारे पहुंचे, जहां पानी सूखा हुआ था और चट्टानें दिखाई दे रही थीं। शिष्यों ने इतनी बड़ी चट्टानें पहली बार देखीं और इस पर सवाल किया।
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शिष्यों ने चट्टान की कठोरता पर चर्चा शुरू की और अलग-अलग तत्वों को चट्टान से बड़ा बताया, जैसे लोहा, आग, जल और हवा।
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गुरुजी ने जानबूझकर शिष्यों के सवाल का उत्तर नहीं दिया ताकि वे खुद सोचने और समझने की कोशिश करें।
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शिष्यों ने अपने-अपने विचार साझा किए, जिससे उनका सामान्य ज्ञान बढ़ा, लेकिन यह चर्चा एक अंतहीन बहस का रूप ले चुकी थी।
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गुरुजी ने अंततः शिष्यों को बताया कि मनुष्य का संकल्प सबसे बड़ा होता है और इसके सहारे असंभव को संभव बनाया जा सकता है।
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गुरुजी ने समझाया कि संकल्प एक दृढ़ विश्वास है, जिसके बल पर बड़े-बड़े पर्वत और बाधाएं पार की जा सकती हैं।
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शिष्य इस बात को समझ गए कि जीवन में संकल्प की शक्ति से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।
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यह कहानी शिष्यों को प्रेरित करती है कि वे अपने संकल्प को मजबूत बनाए रखें
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और जीवन में किसी भी कठिनाई का सामना करें।
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