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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण आर्यन और कियारा के खेलने का समय बाधित हो गया, जिससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी और उन्हें मास्क पहनना पड़ा।
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बच्चों ने महसूस किया कि प्रदूषण का समाधान खुद ही करना होगा, इसलिए उन्होंने 'मिशन स्वच्छ हवा' की शुरुआत की और प्रदूषण के स्रोतों की जाँच की।
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प्रदूषण के मुख्य कारणों में धुआँ, धूल और पराली जलाना शामिल थे, जो वाहनों, फैक्ट्रियों, और कूड़ा जलाने से उत्पन्न होते थे।
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आर्यन, कियारा, रोहन और परी ने मिलकर 'नन्ही टीम स्वच्छ हवा' बनाई और अपने मोहल्ले में सुधार के छोटे-छोटे कदम उठाए।
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उन्होंने '5 R's of Clean Air' का पालन किया, जिसमें कारों का कम इस्तेमाल, कूड़ा जलाने से मना करना, पेड़ लगाना, पुनर्चक्रण करना, और साइकिल चलाना शामिल था।
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बच्चों ने साइकिल रैली आयोजित की और कूड़ा जलाने के खिलाफ मोहल्ले के लोगों को जागरूक किया, जिससे प्रदूषण में कमी आई।
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'पौधा-दोस्त' अभियान के तहत बच्चों ने पौधे लगाकर हरियाली बढ़ाने का प्रयास किया, जिससे मोहल्ले में हरियाली और ऑक्सीजन का स्तर बेहतर हुआ।
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बच्चों की पहल को देखकर बड़े लोग भी प्रेरित हुए और उन्होंने बच्चों के उपायों को अपनाने का निर्णय लिया।
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बच्चों के प्रयासों से दिल्ली में प्रदूषण में कमी आई और आसमान साफ़ होने लगा, जिससे बच्चों की खुशियाँ वापस लौट आईं।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि जागरूकता और सामूहिक प्रयासों से बड़ी समस्याओं का समाधान संभव है, और बच्चों की छोटी पहल भी बड़ा बदलाव ला सकती है।
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