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एक अमीर व्यापारी बारिश के मौसम में गांव जाते समय रास्ते में गाड़ी खराब होने के कारण फंस गया और कोई मदद का साधन न होने के कारण चिंतित हो उठा।
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सड़क पर गुजरते एक गरीब साइकल सवार व्यक्ति ने व्यापारी की सहायता की और उसे अपने घर ठहरने का निमंत्रण दिया, जिसे उसने 'भगवान का घर' कहा।
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साइकल सवार के घर पहुंचने पर उसकी पत्नी ने व्यापारी का गर्मजोशी से स्वागत किया और उसे चाय-नाश्ता और रात का भोजन परोसा।
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व्यापारी को यह जानकर हैरानी हुई कि साइकल सवार अपने घर को 'भगवान का घर' क्यों कहता है, जबकि यह कोई मंदिर नहीं है।
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साइकल सवार ने समझाया कि वे अपने घर को 'भगवान का घर' कहते हैं ताकि वहां कोई गलत काम न हो और हमेशा सद्विचारों में रहें।
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उसने यह भी कहा कि जैसे लोग मानते हैं कि मृत्यु के बाद भगवान के घर जाना है, वैसे ही वे जीते जी भगवान के घर का सुख प्राप्त कर रहे हैं।
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गरीब व्यक्ति के इस विचार ने व्यापारी को गहराई से प्रभावित किया
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और उसने भी अपने घर को 'भगवान का घर' कहने का निश्चय किया।
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यह कहानी जीवन में सच्चाई और सदाचार के महत्त्व को दर्शाती है, जिससे प्रेरणा लेकर हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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