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जंगल में शेर और चीता की गहरी दोस्ती थी, जिसे पूरा जंगल सराहता था, लेकिन एक छोटी सी बात पर दोनों के बीच लड़ाई हो गई और दोस्ती टूट गई।
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शेर ने चीते से कहा कि उसे अब से शेर को राजा कहकर बुलाना होगा, जिससे चीता जंगल छोड़कर चला गया।
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एक दिन शेर के सेनापति लोमड़ी ने सबसे ज्यादा चोरी करने वाले बंदर को पकड़कर शेर के सामने पेश किया, जिसे शेर ने मौत की सजा सुनाई।
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बंदर का दोस्त हिरन उसकी चिंता में शेर से निवेदन करता है कि वह बंदर की जगह जेल में कुछ समय के लिए रह सकता है। शेर ने उसकी बात मान ली।
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हिरन जेल में बंद हो जाता है और बंदर को छोड़ दिया जाता है, लेकिन 2 महीने बाद बंदर समय पर नहीं लौटता।
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सजा के दिन, बंदर लौट आता है और हिरन को आज़ाद कर अपनी सजा भुगतने की पेशकश करता है।
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शेर दोनों की सच्ची दोस्ती देखकर बंदर की सजा माफ कर देता है और दोनों दोस्तों को खुशी-खुशी वापस जाने देता है।
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कहानी से सीख मिलती है कि हमें दूसरों की अच्छाइयों से सीखना चाहिए और हमेशा अच्छे काम करते रहना चाहिए, क्योंकि यह दूसरों को भी प्रेरित करता है।
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शेर को अपने पुराने दोस्त चीता की याद आती है और वह उससे माफी मांगने जाता है, यह समझते हुए कि सच्ची दोस्ती की क्या कीमत होती है।
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