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भोला नामक घोड़ा अपने घर से निकाल दिए जाने के बाद दुखी होकर जंगल में पहुंच जाता है, जहां उसे देखकर जंगल के अन्य जानवर हैरान होते हैं और उसकी समस्या का समाधान खोजने का निर्णय लेते हैं।
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सभी जानवर हाथी दादा के पास जाते हैं, जो भोला की कहानी सुनकर तुरंत उसकी मदद करने का निर्णय लेते हैं। हाथी दादा जंगल में शांति और सामंजस्य का प्रतीक हैं।
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भोला बताता है कि उसने अपने मालिक के लिए जीवनभर मेहनत की, लेकिन अब जब वह बूढ़ा हो गया है और ज्यादा काम नहीं कर सकता, तो उसे घर से निकाल दिया गया। यह उसे नमकहरामी का अनुभव कराता है।
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हाथी दादा भोला को समझाते हैं कि ईश्वर भी हमारे लिए बहुत कुछ करते हैं, लेकिन जब हम उनके उपकारों को भूल जाते हैं, तो उन्हें दुख होता है।
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हाथी दादा बताते हैं कि जो लोग दूसरों को धोखा देते हैं, उन्हें अंततः अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है, जैसा कि भोला के मालिक के साथ होगा।
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सभी जानवर हाथी दादा की बातों से सहमत होते हैं और समझते हैं कि ईश्वर के आदेशों का पालन न करने पर पछतावा होता है।
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हाथी दादा भोला को आश्वासन देते हैं कि अब से जंगल के सभी प्राणी उसके परिवार का हिस्सा हैं और वह उनके साथ सुरक्षित महसूस कर सकता है।
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भोला को यह जानकर खुशी होती है कि अब उसके पास एक नया घर और परिवार है,
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और वह जंगल में खुशी-खुशी रहने लगता है।
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