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चुनमुन चूहा बेहद खाने का शौकीन था और अक्सर खाने की तलाश में अपने पड़ोसियों के घरों में घुस जाता था।
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एक दिन उसे अपने मित्र चुंचु चूहे के जन्मदिन की दावत में आमंत्रित किया गया, जहां उसने जमकर भोजन किया।
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दावत से लौटते समय चुनमुन को एक घर से खाने की खुशबू आई, जिसके लालच में वह वहां चला गया और मिठाई चुराने की कोशिश की।
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घर में चुनमुन ने मंगलू भेड़िया और झपटू बंदर की बातचीत सुनी, जिसमें वे अशोकवन स्कूल के वार्षिक समारोह में जहरीली मिठाईयां बांटकर आतंक फैलाने की योजना बना रहे थे।
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मंगलू और झपटू को चुनमुन की उपस्थिति का पता चल गया और उन्होंने उसे पकड़कर एक कोठरी में बंद कर दिया।
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चुनमुन ने हिम्मत से काम लेते हुए, चाकू की मदद से खिड़की की जाली काटी और वहां से भाग निकला।
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उसने महाराज शेर सिंह को षड्यंत्र की जानकारी दी, जिन्होंने तुरंत सैनिकों को भेजकर मंगलू और झपटू को गिरफ्तार कर लिया।
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शेरसिंह ने चुनमुन की बहादुरी के लिए उसे शाबाशी दी और अस्पताल में उसके घाव की मरहम पट्टी करवाई।
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अगले दिन, चुनमुन को अशोकवन स्कूल के समारोह में विशेष अतिथि के रूप में बुलाया गया, जहां उसे बहादुरी के लिए स्वर्ण पदक और शेरसिंह के महल में एक महीने तक मुफ्त दावत करने का निमंत्रण मिला।
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