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नंदन वन में चीकू और मीकू नाम के दो खरगोश रहते थे, जो अच्छे मित्र थे और दिनभर खेलते-कूदते रहते थे।
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चीकू बुद्धिमान था लेकिन डरपोक और आलसी था। वह अपनी समझदारी से किसी भी मुसीबत का हल निकाल लेता था।
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एक मक्कार लोमड़ उस जंगल में आया और उसने चीकू और मीकू को धोखे से पकड़ने की योजना बनाई।
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लोमड़ साधु के वेश में उनके पास आया और उन्हें धोखा देने के लिए अपनी भलाई करने का नाटक किया।
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चीकू ने लोमड़ की चालाकी को भांप लिया और उसने लोमड़ की बातों पर विश्वास न करने का निश्चय किया।
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लोमड़ ने मीकू को एक ताकत की दवा देने का प्रलोभन दिया, ताकि वह उसे अपने साथ ले जा सके।
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चीकू ने लोमड़ को अपनी बात साबित करने के लिए एक पेड़ तक दौड़ने की चुनौती दी।
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लोमड़ के दौड़ते ही चीकू ने मीकू से कहा कि वे भाग जाएं, और वे दोनों वहां से दूर निकल गए।
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लोमड़ ने अपनी मूर्खता पर पछतावा किया जब उसने देखा कि चीकू और मीकू दूर जा चुके हैं।
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यह कहानी चीकू की बुद्धिमत्ता और समझदारी को दर्शाती है, जिससे वह और मीकू लोमड़ से बचने में सफल रहे।
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