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गाँव के बाहर बने तालाब के किनारे एक घने जंगल में खरगोशों का एक समूह रहता था, जो आपस में बहुत मेलजोल से रहते थे और एक-दूसरे की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहते थे।
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एक दिन, मोटू नाम का एक खरगोश दूसरे जंगल से वहां आया और उसने अपनी दुखभरी कहानी सुनाई, जिससे बूढ़े खरगोश को उस पर दया आ गई और उसने मोटू को वहां रहने की अनुमति दे दी।
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मोटू को समुदाय में शामिल किया गया और उसके लिए अलग से रहने की व्यवस्था की गई। उसे बिना मेहनत के भोजन मिल जाता था और वह आराम से रहने लगा।
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एक दिन चुन्नू खरगोश ने मोटू की मांद के पास आग लगने की खबर दी, जिससे सभी खरगोश वहां भागे।
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मोटू खरगोश ने अपनी मांद से छलांग लगाकर आग से बाहर आ गया, जिससे सभी खरगोश आश्चर्यचकित हो गए।
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चुन्नू ने बताया कि उसने आग लगाई थी ताकि मोटू की असलियत सामने आ सके, क्योंकि उसने मोटू को कसरत करते हुए देखा था।
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चुन्नू की चालाकी से मोटू की सच्चाई सामने आई और सभी खरगोश उसकी बुद्धिमानी की प्रशंसा करने लगे।
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मोटू की धोखेबाजी के बावजूद, उसे जंगल से जाने की अनुमति दे दी गई।
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यह कहानी चुन्नू खरगोश की समझदारी और बुद्धिमत्ता को दर्शाती है, जिसने अपने समुदाय को खतरे से बचाया।
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