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एक छोटे से गांव में कई मुर्गे और मुर्गियां रहते थे, जो सुबह-सुबह बांग देकर गांववालों को जगाते थे, जिससे लोग समय पर अपने काम पर लग जाते थे।
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गांव में एक घमंडी मुर्गा था, जो सोचता था कि उसी की वजह से गांव सुबह उठता है और उसके बिना किसी का काम नहीं चल सकता।
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एक दिन गांव के बच्चों ने उस मुर्गे को तंग किया, जिससे नाराज होकर उसने सोचा कि वह अगली सुबह बांग नहीं देगा, ताकि गांववालों को उसकी अहमियत समझ में आए।
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अगली सुबह मुर्गे ने बांग नहीं दी, लेकिन गांववाले सूरज की रोशनी और अन्य आवाजों के कारण समय पर उठ गए और अपनी दिनचर्या में लग गए।
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मुर्गा यह देखकर हैरान रह गया कि गांववालों की दिनचर्या पर उसकी अनुपस्थिति का कोई असर नहीं पड़ा।
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उसे एहसास हुआ कि किसी के बिना भी दुनिया चलती रहती है और उसे अपने काम पर घमंड नहीं करना चाहिए।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें अपने कार्य पर घमंड नहीं करना चाहिए; हमारे बिना भी काम होते रहते हैं।
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हमें अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार रहना चाहिए
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अहंकार से बचना चाहिए, क्योंकि दुनिया किसी के लिए भी नहीं रुकती।
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