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इस कहानी में एक चालाक कौआ है जो अपनी चालाकी के कारण जंगल के अन्य पशु-पक्षियों से चिढ़ा हुआ रहता है।
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एक दिन जब जंगल में ज़ोरदार आंधी आई, तो सभी जानवर पेड़ों की ओट में छिप गए, जबकि एक पुराना बरगद का पेड़ आंधी में उखड़ गया।
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कौए ने पेड़ की कमज़ोरी को समझ लिया और आंधी के बाद उस पर बैठ गया। जैसे ही पेड़ गिरा, कौए ने दावा किया कि उसने पेड़ गिरा दिया है, जिससे उसकी वीरता की चर्चा जंगल में फैल गई।
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कुछ दिनों बाद, एक तेंदुआ जंगल में आकर जानवरों को परेशान करने लगा। तब सभी ने कौए को बुलाया, जिसने बरगद का पेड़ गिराने का दावा किया था।
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कौआ हाथी की सवारी पर बैठकर तेंदुए के खिलाफ निकला। रास्ते में दो और हाथी शामिल हो गए। तेंदुआ कौए और हाथियों को देखकर डरकर भाग गया।
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कौए की इस हरकत से उसकी जय-जयकार जंगल में और बढ़ गई, लेकिन यह सब धोखे पर आधारित था।
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कहानी का संदेश यह है कि धोखे और झूठ से अर्जित की गई सफलता लंबे समय तक टिक नहीं सकती। सच हमेशा सामने आता है।
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ईमानदारी और सच्ची योग्यता से ही स्थायी सम्मान और विश्वास पाया जा सकता है, न कि धोखे से।
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इस प्रकार चालाक कौए ने अपनी धाक जंगल में जमा ली
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