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यह कहानी एक सियार और भेड़िये की है जो जंगल का राजा बनने का सपना देखते हैं, लेकिन असली राजा शेरसिंह होता है।
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सियार और भेड़िया सोचते हैं कि राजा बनकर वे अन्य प्राणियों पर हुक्म चला सकेंगे, लेकिन इस समय जंगल पर शेरसिंह का राज है।
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एक दिन सियार और भेड़िया शेरसिंह से अपनी राजा बनने की इच्छा व्यक्त करते हैं, और शेरसिंह उन्हें हाथी से लड़ने का प्रस्ताव देता है।
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हाथी से लड़ने की बात सुनकर सियार और भेड़िया डर जाते हैं और अपनी राजा बनने की इच्छा छोड़ देते हैं।
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शेरसिंह उन्हें समझाता है कि साहस के बिना कोई भी बड़ा नहीं बन सकता और जो विपत्ति की आशंका मात्र से घबरा जाते हैं, वे कभी बड़े नहीं बन सकते।
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अंत में, सियार और भेड़िया अपनी कमजोरियों को स्वीकार करते हुए वहाँ से भाग जाते हैं।
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आज भी सियार और भेड़िया जंगल में मिलजुल कर रहते हैं, लेकिन वे अब छोटे-बड़े का भेदभाव नहीं करते।
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जंगल में अभी भी शेरसिंह का ही राज चलता है,
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और कहानी हमें साहस और आत्म-स्वीकृति का महत्व सिखाती है।
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