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उपवन में वर्षा की पहली फुहार ने चारों ओर हरियाली और खुशियों का माहौल बना दिया था। फूलों की सुगंध और नदियों की कल-कल ध्वनि ने वातावरण को जीवंत कर दिया था।
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पक्षियों और बच्चों ने वर्षा का आनंद लिया, लेकिन एक कबूतर बुखार में तपता पाया गया, जिससे उसके साथी पक्षी चिंतित हो गए।
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पक्षियों ने कबूतर को डॉक्टर के पास ले जाकर उसकी जांच करवाई। डॉक्टर ने कबूतर को वर्षा में भीगने की सलाह दी, जिसे पक्षियों ने पहले अजीब समझा।
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अगले दिन, सभी पक्षियों ने कबूतर को वर्षा में बाहर घूमने का आग्रह किया। कबूतर ने अनिच्छा के बावजूद उनके साथ उड़ान भरी।
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खेतों और झरनों के ऊपर उड़ते हुए कबूतर ने प्रकृति की सुंदरता का अनुभव किया और कुछ दाने खाए, जिससे उसका मन प्रफुल्लित हो गया।
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वर्षा में बाहर घूमने से कबूतर का बुखार गायब हो गया और उसमें नई ऊर्जा का संचार हुआ। उसने महसूस किया कि वर्षा के प्रति डर उसकी बीमारी का कारण था।
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कबूतर ने समझा कि वर्षा का मौसम स्फूर्तिदायक और आनंददायक है, और अब वह नियमित रूप से अपने दोस्तों के साथ वर्षा का आनंद लेगा।
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कबूतर के स्वस्थ होने पर सभी पक्षी खुश हुए और डॉक्टर की सलाह की सराहना की,
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जो सच में कारगर साबित हुई।
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