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एक बरसात की अंधेरी रात में, एक बंदर ने एक जुगनू को उड़ते हुए देखा और उसे पकड़ लिया। बंदर ने जुगनू को डरपोक कहा और उसका मजाक उड़ाया।
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जुगनू ने अपनी चमक को लालटेन समझने वाले बंदर को बताया कि उसकी चमक प्राकृतिक है, लेकिन बंदर ने इसे जुगनुओं के डर का प्रतीक बताया।
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बंदर ने अन्य बंदरों को बुलाया और जुगनू का मजाक उड़ाने लगे, जिससे जुगनू को गुस्सा आ गया और उसने बंदर से मुकाबले की चुनौती दी।
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अगले दिन, जंगल के सभी जानवर मुकाबले को देखने के लिए इकट्ठा हुए। बंदर अपने साथ 99 अन्य बंदरों को लेकर आया, सभी डंडे लिए हुए थे।
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मुकाबला शुरू होने पर जुगनू चालाकी से बंदरों की नाक पर बैठकर उन्हें भ्रमित करता रहा, जिससे वे एक-दूसरे को चोट पहुंचाने लगे।
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अंत में, सभी बंदर घायल होकर जमीन पर लेट गए, जबकि जुगनू ने बंदरों को अपनी शक्ति का एहसास कराया।
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एक मात्र बचा हुआ बंदर जुगनू से माफी मांगता है और वादा करता है कि वह उसे डरपोक नहीं कहेगा।
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इस घटना के बाद से, सभी बंदर जुगनुओं से डरने लगे और उन्हें देखकर भागने लगे,
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जैसे चूहा बिल्ली से भागता है।
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