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मोंटी बंदर एक बहुत अच्छा बांसुरी वादक था, जिसकी मधुर धुनों के लिए जंगल के जानवर उसके आसपास इकट्ठा होते थे और सबकुछ भूल जाते थे।
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एक दिन, खीसू नाम का आलसी लोमड़ मोंटी की बांसुरी लेने की योजना बनाता है ताकि वह उसे बजाकर खरगोशों को अपनी ओर आकर्षित कर सके और उन्हें आसानी से पकड़ सके।
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मोंटी बंदर जानबूझकर खीसू से 1000 रुपये की मांग करता है, यह जानते हुए कि खीसू के पास पैसे नहीं हैं, ताकि वह दुबारा लौटकर न आए।
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खीसू पैसों के लिए इधर-उधर हाथ फैलाता है, लेकिन कोई उसकी मदद नहीं करता। अंततः वह रंगू कुत्ते के घर से 1000 रुपये चुराता है।
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अगले दिन, खीसू मोंटी को पैसे देकर बांसुरी ले लेता है। मोंटी को शक होता है कि खीसू ने पैसे चोरी किए हैं।
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मोंटी तुरंत पुलिस को सूचना देता है। इंस्पेक्टर गधे राम मोंटी की मदद से चोर की पहचान कर लेते हैं।
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खीसू बांसुरी बजाकर खरगोशों को बुलाने की कोशिश करता है लेकिन पुलिस वहां पहुँच जाती है और खीसू को पकड़ लेती है।
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खीसू अपराध स्वीकार कर लेता है, और रंगू कुत्ते को उसके पैसे वापस मिल जाते हैं। मोंटी बंदर को उसकी बांसुरी वापस मिल जाती है।
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अंत में, मोंटी फिर से अपनी बांसुरी पर मीठी धुन बजाने लगता है, जिससे जंगल के जानवर फिर से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
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