जंगल कहानी: मूर्ख बकबक और समझदार तेजदृष्टि की बहस

Jun 07, 2025, 05:35 PM

मूर्ख बकबक और समझदार तेजदृष्टि की बहस

इस कहानी में बकबक नामक गीदड़ और तेजदृष्टि नामक बाज़ के बीच सूरज के रंग को लेकर बहस होती है। बकबक का दावा है कि सूरज काला है, जबकि तेजदृष्टि इसे सुनहरा-नारंगी बताता है।

मूर्ख बकबक और समझदार तेजदृष्टि की बहस

वे इस विवाद को जंगल के राजा ज्ञानेंद्र के पास ले जाते हैं। ज्ञानेंद्र बकबक की बात मान लेते हैं और तेजदृष्टि को मूर्खों से बहस करने के लिए सजा देते हैं।

मूर्ख बकबक और समझदार तेजदृष्टि की बहस

तेजदृष्टि को दो साल तक चुप रहने की सजा दी जाती है, जिससे वह समझता है कि मूर्खों से बहस करना समय की बर्बादी है।

मूर्ख बकबक और समझदार तेजदृष्टि की बहस

तेजदृष्टि ने ज्ञानेंद्र से पूछा कि क्यों उसे सजा दी गई। ज्ञानेंद्र ने कहा कि सजा सूरज के रंग को लेकर नहीं, बल्कि बहस में समय बर्बाद करने के लिए दी गई।

मूर्ख बकबक और समझदार तेजदृष्टि की बहस

तेजदृष्टि को अपनी गलती का एहसास होता है और वह भविष्य में मूर्खों से बहस न करने का निर्णय लेता है।

मूर्ख बकबक और समझदार तेजदृष्टि की बहस

दो साल बाद, तेजदृष्टि पहले से ज्यादा समझदार होकर जंगल में लौटता है और बकबक से बहस करने से इनकार करता है।

मूर्ख बकबक और समझदार तेजदृष्टि की बहस

तेजदृष्टि जंगल के अन्य जानवरों को सलाह देता है कि वे मूर्खों से बहस न करें और अपनी शांति और समय को बचाएं।

मूर्ख बकबक और समझदार तेजदृष्टि की बहस

जंगल के जानवर तेजदृष्टि की सलाह को गंभीरता से लेते हैं और जंगल में बेकार की बहसें कम हो जाती हैं।

मूर्ख बकबक और समझदार तेजदृष्टि की बहस

ज्ञानेंद्र तेजदृष्टि की समझदारी से प्रभावित होकर उसे "जंगल का शांतिदूत" की उपाधि देते हैं।

मूर्ख बकबक और समझदार तेजदृष्टि की बहस

इस कहानी से यह सीख मिलती है कि मूर्खों से बहस करना समय की बर्बादी है और हमें अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल करना चाहिए।