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चंपक वन में चीकू बंदर, मीकू खरगोश और नीटू लोमड़ की दोस्ती की मिसाल दी जाती थी। हालांकि, वनों में कोई विद्यालय नहीं था, इसलिए वे तीनों पड़ोस के वन में पढ़ाई के लिए जाते थे।
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उन्हें स्कूल जाने के लिए नदी पार करनी पड़ती थी, जो नाव द्वारा संभव था। भालू चाचा नाव चलाते थे और उनकी दोस्ती के बारे में सुना करते थे।
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एक दिन भालू चाचा ने उनकी दोस्ती की परीक्षा लेने के लिए नाव बीच नदी में रोक दी और कहा कि नाव में अधिक वजन के कारण डूबने का खतरा है।
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इस बात पर चीकू बंदर ने मीकू खरगोश को पानी में धक्का दे दिया, जिससे नाव का वजन कम हो सके। नाव फिर से आगे बढ़ने लगी।
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कुछ दूर जाने के बाद, भालू चाचा ने फिर से कहा कि नाव में अब भी अधिक वजन है। इस बार नीटू लोमड़ ने चीकू बंदर को पानी में धक्का दे दिया।
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अंत में, भालू चाचा ने नीटू को भी नाव से उतरने को कहा। नीटू डर गया और समझ गया कि भालू चाचा उनकी दोस्ती की परीक्षा ले रहे थे।
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भालू चाचा ने खुलासा किया कि वे सब स्वार्थी हैं और एक-दूसरे की जान बचाने की बजाय खुद की जान बचाने में लगे थे।
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भालू चाचा ने यह भी बताया कि उनके मित्र कछुए ने पहले ही चीकू और मीकू को किनारे पहुँचा दिया था, जिससे पता चला कि उनकी दोस्ती सच्ची नहीं थी।
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कहानी का संदेश यह है कि सच्ची दोस्ती की परीक्षा संकट के समय होती है। संकट में एक-दूसरे के लिए जान छिड़कने वाले ही सच्चे मित्र होते हैं।
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