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बहुत समय पहले, एक घना जंगल था जिसे सभी जानवर 'मित्रवन' कहते थे, जहाँ सभी खुशी-खुशी रहते थे। इसका कारण था कि वहाँ के राजा शेरसिंह ने दोस्ती और सहयोग का नियम बनाया था।
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एक दिन जंगल में हलचल मच गई जब गजराज नामक एक घायल हाथी जंगल के किनारे गिर पड़ा। उसने बताया कि वह शिकारियों से बचकर आया है और उसके पैर में कांटा चुभ गया है।
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जंगल के जानवरों ने गजराज की मदद के लिए योजना बनाई। तोते टीटो ने सुझाव दिया कि सबको मिलकर मदद करनी होगी और शिकारियों से सावधान रहना होगा।
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जानवरों ने अपने-अपने काम बाँटे। बंदर मोनू ने ऊँचाई से शिकारियों पर नजर रखने का जिम्मा लिया, जबकि खरगोश चीकू ने गजराज के पैर से कांटा निकालने की कोशिश की।
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लोमड़ी रूबी ने पास के झरने से पानी लाकर गजराज को पिलाया। इस बीच, टीटो ने देखा कि शिकारी जंगल में आ रहे हैं और सबको सतर्क किया।
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शेरसिंह ने सभी जानवरों को एकजुट होकर हिम्मत दी। सभी ने मिलकर शिकारियों को डराने के लिए जोर-जोर से आवाजें निकालनी शुरू कीं, जिससे शिकारी डरकर भाग गए।
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गजराज स्वस्थ हो गया और उसने सभी का धन्यवाद किया। उसने कहा कि मित्रता और सहयोग की यह मिसाल वह कभी नहीं भूलेगा।
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शेरसिंह ने इस घटना से सबक लिया कि एकता और दोस्ती में बहुत ताकत होती है और अगर सब साथ रहें, तो कोई भी उन्हें नहीं हरा सकता।
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यह कहानी हमें सिखाती है कि दोस्ती, एकता, और सहयोग से बड़े से बड़े संकट का सामना किया जा सकता है।
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