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गोलू नाम का एक शरारती खरगोश जंगल में रहता था, जो अपनी चालाकी और तेज़ी के कारण बाकी जानवरों को परेशान करता रहता था।
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गोलू की आदत थी दूसरों की मेहनत पर पानी फेरना, जैसे कि कछुए दादा के गड्ढों को भरना और गौरैया चिंकी के घोंसले से तिनके निकालना।
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गोलू की शरारतों से परेशान होकर, सभी जानवरों ने शेर राजा से शिकायत की, जिन्होंने गोलू को सुधरने का मौका दिया।
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चेतावनी के बावजूद, गोलू ने भालू के शहद के छत्ते को गिरा दिया और चिंकी के अंडों को छेड़ने की कोशिश की, जिससे जानवरों की परेशानी और बढ़ गई।
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शेर राजा ने गोलू को दरबार में बुलाकर उसे सजा सुनाई, जिसमें उसे जंगल के जानवरों की मदद करने का काम सौंपा गया।
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गोलू ने जंगल की सफाई की, गौरैया के लिए नया घोंसला बनाया और कछुए के गड्ढों को फिर से खोदा, जिससे उसे मेहनत की अहमियत समझ में आई।
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अंततः, गोलू ने अपनी गलतियों के लिए सभी से माफी मांगी और वादा किया कि वह आगे से किसी को तंग नहीं करेगा।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि दूसरों की मेहनत और भावनाओं का सम्मान करना चाहिए
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और मेहनत और ईमानदारी से ही असली खुशी मिलती है।
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