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इस कहानी का शीर्षक "जंगल कहानी: एकता में शक्ति" है, जिसमें बताया गया है कि कैसे जंगल के जानवरों ने मिलकर एक बड़े खतरे से निपटा और सिद्ध किया कि एकता में शक्ति होती है।
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सुंदरवन नामक जंगल में जानवरों के बीच प्रेम और शांति का माहौल था, जहाँ हाथी राजा, शेर मंत्री, तोता संदेशवाहक, खरगोश तेज दौड़ने वाला और कछुआ धैर्यवान था। सभी जानवर एकता के साथ रहते थे।
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संकट तब आया जब एक भयंकर अजगर, कालसर्प, जंगल में आ गया और हर हफ्ते एक जानवर को खा जाता था। जानवर डर गए और शेर मंत्री से मदद की गुहार लगाई।
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तोते ने सुझाव दिया कि अगर सभी जानवर मिलकर लड़ें, तो वे कालसर्प को हरा सकते हैं। कछुए और खरगोश ने इस योजना का समर्थन किया और सबने मिलकर एक योजना बनाई।
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योजना के अनुसार, खरगोश ने कालसर्प को उकसाया और उसे जंगल के उस हिस्से में ले गया जहाँ शेर और हाथी छिपे थे। तोता ने संकेत दिया और शेर तथा हाथी ने मिलकर कालसर्प को पकड़ लिया।
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कछुए ने अपनी मजबूत पीठ से पीछे का रास्ता बंद कर दिया, जिससे कालसर्प हार मान गया और जंगल में फिर से शांति लौट आई।
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हाथी राजा ने सभा में कहा कि यह जीत समझदारी और एकता से मिली है। तोते को रणनीति विशेषज्ञ, खरगोश को साहसी योद्धा, और कछुए को अडिग रक्षक की उपाधि दी गई।
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इस कहानी से सीख मिलती है कि अकेले हम चाहे जितने भी अच्छे क्यों न हों, लेकिन मिलकर हम सबसे बड़े दुश्मन को भी हरा सकते हैं। हर किसी की अपनी भूमिका होती है, और एकता तथा योजना ही असली शक्ति होती है।
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कहानी यह भी बताती है कि चाहे स्कूल प्रोजेक्ट हो या पारिवारिक काम, साथ मिलकर करना ही सबसे बेहतर उपाय है। यह कहानी बच्चों को मिलजुलकर रहने की सीख देती है।
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