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झुमकू बंदर को जासूसी की किताबें पढ़ने का शौक था और वह एक महान जासूस बनने का सपना देखता था।
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एक रात, जब वह अपने दोस्त के घर से पार्टी से लौट रहा था, उसने देखा कि कोई डिप्सी हिरन के घर की दीवार में छेद कर रहा था।
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झुमकू ने चुपचाप चोर की गतिविधियों को देखा और पाया कि चोर ने कुछ निकालकर कूड़े के पास छिपाया था।
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झुमकू ने समझा कि हब्बी लोमड़ चोर है या चोर से मिला हुआ है, क्योंकि चोर हब्बी के घर में भी गया था।
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अगली सुबह, झुमकू ने शेर महाराज के दरबार में जाकर हब्बी पर चोरी का आरोप लगाया।
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डिप्सी ने हंसते हुए बताया कि उसके घर में कोई चोरी नहीं हुई थी; दरअसल, वह अपनी नाली की सफाई कर रहा था और कूड़े में मलबा फेंका था।
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हब्बी ने भी पुष्टि की कि उसने डिप्सी को अपने घर में चाय के लिए रोका था।
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झुमकू को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने भविष्य में जासूसी करने से तौबा कर ली।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले पूरी सच्चाई जान लेनी चाहिए।
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