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बंटी बंदर और शंटी लंगूर ने एक मारधाड़ वाली फिल्म देखी और उससे प्रेरित होकर जानवरों को लूटने की योजना बनाई।
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दोनों ने डाकुओं जैसा भेष बनाकर अपने जंगल के जानवरों को लूटने का प्रयास किया, जिसमें उन्होंने पिस्तौल दिखाकर डराने की कोशिश की।
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सबसे पहले उन्होंने हाथीमल को लूटा, जिसने हंसते हुए उन्हें चने की पोटली दे दी और कहा कि वे बच्चे हैं, मांगते तो भी दे देता।
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गैंडा चंद हलवाई से दोनों को काफी रुपये मिले, और लोमड राम को भी लूटा।
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फिर झगडू बंदर के पिटारे से सांप निकल आया, जिससे वे मुश्किल से जान बचाकर भागे।
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चीता प्रसाद के ब्रीफकेस को लूटने की कोशिश में, उनकी पिस्तौल ने काम नहीं किया क्योंकि वे खिलौने थे।
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चीता प्रसाद ने बताया कि बंदर और लंगूर ने उसकी दुकान से ही खिलौने की पिस्तौल खरीदी थी, जिससे उनकी चालाकी फेल हो गई।
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अंततः लूटे गए जानवरों ने वन के रक्षकों को बुलाकर उनका सामान वापस लिया
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और बंटी व शंटी को पुलिस के हवाले कर दिया गया।
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