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यह कहानी एक गांव के चौराहे पर बैठे एक चालाक काले कौवे की है, जो दुकानदार की नजर हटते ही दुकान से पाव चुरा लेता है।
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पेड़ पर बैठे कौवे को देखकर एक भूखी लोमड़ी उसे चतुराई से फंसाने की योजना बनाती है।
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लोमड़ी कौवे की सुंदरता की तारीफ करती है और उसकी आवाज की प्रशंसा करती है, जिससे कौवा खुश होकर अपनी चोंच खोलता है।
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जैसे ही कौवा अपनी चोंच खोलता है, पाव नीचे गिर जाता है और लोमड़ी उसे तुरंत उठा लेती है।
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इस घटना से कौवा समझ जाता है कि उसकी चतुराई के बावजूद लोमड़ी उससे ज्यादा चालाक निकली।
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कौवा अपनी गलती स्वीकार करता है और लोमड़ी से सीखता है कि कभी भी दूसरों की चापलूसी में आकर अपनी चीजें नहीं गंवानी चाहिए।
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कहानी की मुख्य सीख यह है कि हमें अपनी मेहनत की चीजों की कदर करनी चाहिए और झूठी तारीफ में नहीं फंसना चाहिए।
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कहानी यह भी सिखाती है कि चतुराई से कुछ समय के लिए जीता जा सकता है,
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लेकिन सच्चाई और मेहनत से हमेशा सम्मान मिलता है।
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